Sunday, December 24, 2017

आरोग्य सूत्र

 🍀 च्यवनप्राश सेवन विधि 🍀

च्यवनप्राश आयुर्वेदोक्त एक रसायन योग है जो  बल एवं दीर्घायु प्रदान करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाकर रोगों के नाश में सहायक होता है । यदि सही प्रकार ( कुटिप्रावेशिक विधि ) से सेवन किया जाए तो च्यवनप्राश व्यक्ति को पुनः युवा बना सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है ।

किन्तु आजकल की भाग दौड़ के समय में कुटिप्रावेशिक विधि से इसका सेवन काफी कठिन है या यह भी कह सकते हैं कि लगभग असंभव सा है । इसलिए हम आयुर्वेदोक्त वातातपिक विधि से भी इसका सेवन कर सकते हैं ।

सर्दियों में हम सब विशेष रूप से इसका सेवन करते हैं । किन्तु अक्सर हमे पूरा लाभ नहीं मिलता जिसका कारण गलत विधि से इसका सेवन है ।



सही सेवन विधि

1. च्यवनप्राश के सेवन से पहले हमें किसी आयुर्वेद चिकित्सक से मिलकर अपने शरीर के सभी स्रोतस ( channels) की शुद्धि कर लेनी चाहिए । क्योंकि जिस प्रकार गंदे कपडे पर यदि रंग चढ़ाया जाए तो रंग सही नहीं चढ़ता उसी प्रकार बिना स्रोतस शुद्धि के रसायनं सेवन से पूर्ण लाभ नहीं होता ।

2. च्यवनप्राश का सेवन सदैव खालीपेट करना चाहिए एवं इसके तुरंत बाद कुछ खाना नहीं चाहिए ।

3. च्यवनप्राश हमेशा अपनी जठराग्नि (हज़म करने की ताकत ) के हिसाब से ही खाना चाहिए ।

4. सुबह नाश्ते के स्थान पर हमें अपनी जठराग्नि के बल के अनुसार ( बच्चों को 1/2 से 1 चम्मच, बड़ों को 2 - 4 चम्मच ) च्यवनप्राश का सेवन करना चाहिए ।

5. जठराग्नि के बल का अनुमान हम इस प्रकार लगा सकते हैं कि हमे इतना च्यवनप्राश खाना चाहिए की यदि हमने सुबह नाश्ते के समय इसका सेवन किया है तो दोपहर के समय तक वह अच्छी प्रकार पच जाए एवं हमें ठीक प्रकार से पहले की ही भांति खुल कर भूख लगे ।

6. जब हमें भूख लगे तो उस समय हमें चावल+दूध+गाय का देसी घी से मिलकर बनाया हुआ भोजन करना चाहिए ।

7. भोजन भी जठराग्नि के बल के हिसाब से ही लेना चाहिए । क्योंकि हाज़मे से ज़्यादा भोजन भी नुक्सान देय होता है ।

8. च्यवनप्राश सेवन काल में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए ।

9. सात्विक आहार एवं फलों का सेवन करना चाहिए ।

10. निर्दिष्ट दिनचर्या एवं ऋतुचर्या का पालन करना चाहिए ।

जितना ज्यादा हम उपरोक्त सेवन विधि का प्रयोग करेंगे च्यवनप्राश उतने ज़्यादा सकारात्मक प्रभाव देगा ।



ये बिलकुल न करें

1. चाय या कॉफी के साथ च्यवनप्राश सेवन ।

2. खाना खाने के बाद च्यवनप्राश सेवन ।

3. च्यवनप्राश सेवन काल में तला मिर्च मसाले वाला भोजन ।

4. असात्म्य भोजन ।

5. ठंडा एवं बासी भोजन ।

6. दूषित भोजन ।

7. किसी भी प्रकार का नशा ( बीड़ी, पान , तंबाकू, गुटका, मद्यपान इत्यादि) सेवन ।

8. दिन में सोना ।



विशेष -

👉 शुगर के रोगी केवल शुगर फ्री च्यवनप्राश का ही सेवन करें ।

👉 च्यवनप्राश का सेवन  सभी आयुवर्ग ( बच्चों, बड़ों, महिलायें, वृद्ध, स्वस्थ एवं रोगी ) के व्यक्तियों के लिए उत्तम है ।

👉 च्यवनप्राश का सेवन सभी के लिए पूर्णतः सुरक्षित है किंतु फिर भी गंभीर रोगों से ग्रस्त रोगी चिकित्सक की देखरेख में ही इसका सेवन करें ।



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निदान परिवर्जन =  परहेज़ ही सबसे पहला और सबसे अच्छा इलाज़ है
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डॉ घनश्याम वत्स
           MD (Ayu)
Assistant Professor,
Department of Swasthvritta ( Preventive Medicine ), GSAMC
#9540 464 464
drvatsa@gmail.com


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आयुर्वेद जागरूकता हेतु इदं राष्ट्राय न्यास द्वारा जनहित में जारी । आपकी प्रतिक्रियाओं, सुझावों एवं प्रश्नों का स्वागत है ।

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